ढोल नगाड़ों के साथ निकले मां के डोले
बाराकोट में चल रहे 6 दिवसीय लड़ीधूरा महोत्सव का आज गुरूवार 17 अकटूबर को देवीरथों की लड़ीधूरा मंदिर की परिक्रमा के बाद समापन हो गया। तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर ढोल नगाड़ों के साथ ग्राम काकड़ एवं बाराकोट से देव डांगरो के साथ मां भगवती के देवीरथ लड़ीधुरा मंदिर पहुंचे जहां देवीरथों ने मंदिर की परिक्रमा की। सबसे पहले ग्राम काकड़ का देवीरथ ढोल नगाड़ों व माता के जयकारों के साथ दोपहर 2:40 मिनिट में मंदिर प्रांगण पहुंचा जिसमें देव डांगर कल्याण सिंह मां महाकाली के रूप में सवार थे जिसके बाद ग्राम बाराकोट का देवीरथ दोपहर 3:25 पर मंदिर प्रांगण में पहुंचा
जिसमें देव डांगर प्रताप सिंह कालिका एवं गुड्डी फर्त्याल मां भगवती के रूप में सवार थी। दोनों देवीरथों ने हजारो भक्तों के साथ मंदिर की परिक्रमा की देवी रथों के पीछे महिलाएं मां के जयकारे लगाते हुए चल रही थी। देवीरथों के साथ हजारों की संख्या में क्षेत्रीय व बाहर से आये भक्त भी मंदिर पंहचे तथा पूजा अर्चना कर देव डांगरो एवं माता का आशीर्वाद प्राप्त किया। मेले में बड़ी संख्या में दूर-दूर क्षेत्र से आए व्यापारियों द्वारा दुकाने लगाई गई थी जिनसे लोगों ने जमकर खरीदारी की। वही लड़ीधूरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच बाराकोट के अध्यक्ष नगेन्द्र कुमार जोशी ने महोत्सव के सफल समापन हेतु सभी क्षेत्रीय जनता, श्रद्धालुओं व पुलिस प्रशासन को धन्यवाद दिया बताया लड़ीधूरा महोत्सव प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता एवं संस्कृति को संरक्षित किये जाने का प्रयास किया जाता है उन्होंने बताया कि लड़ीधूरा मंदिर में हजारों की संख्या में भक्त जन अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु माता का आशीर्वाद लेने आते हैं और माता सदैव उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
समापन समारोह पर लोकमान अधिकारी, विनोद अधिकारी, दुर्गेश जोशी, जगदीश अधिकारी, नवीन जोशी, राजेश अधिकारी, राजेन्द्र सिंह अधिकारी, महेन्द्र अधिकारी, किशोर जोशी, रमेश जोशी, नंदा बल्लभ बगौली, ऋतेश वर्मा, रजत वर्मा, मनोज वर्मा, शुभम गोस्वामी, योगेश जोशी, सौरभ गोस्वामी, नमन जोशी, कुमकुम अधिकारी, निहारिका फर्त्याल, प्रदीप ढेक ,जगदीश अधिकारी, बसंत लाल वर्मा आदि उपस्थित रहे।