चंपावत:प्रमुख वन संरक्षक डॉक्टर सिन्हा ने चंपावत वन प्रभाग का किया निरीक्षण
रिर्पोट:लक्ष्मण बिष्ट
प्रमुख वन संरक्षक डॉक्टर सिन्हा ने चंपावत वन प्रभाग का किया निरीक्षण
दो दिनों के भ्रमण पर चंपावत आए डा० समीर सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) तथा मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, उत्तराखंड द्वारा चंपावत वन प्रभाग का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उनके डा० विनय भार्गव, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त, आर सी कांडपाल, प्रभागीय वनाधिकारी, चंपावत वन प्रभाग, नेहा चौधरी, उप प्रभागीय वन अधिकारी, लोहाघाट, प्रशंसा टम्टा उप प्रभागीय वनाधिकारी चंपावत तथा अधीनस्थ फील्ड स्टाफ भी निरीक्षण के दौरान उपस्थित रहा।डॉ सिन्हा द्वारा 10 सितंबर को बस्तिया पौधशाला का निरीक्षण किया गया तथा पौधशाला के कार्यों के संबंध में प्रशंसा करते हुए इसका उच्च प्रबन्धन किए जाने हेतु निर्देश अधिकारियों को दिए। निरीक्षण के दौरान प्रभागीय वनाधिकारी ने अवगत कराया कि पौधशाला का कुल क्षेत्रफल 0.5 हेक्टेयर है, जिनमें मुख्यतः तेजपात, आंवला, रीठा, नींबू गुलमोहर, कचनार और अन्य शोभाकार प्रजातियों को विकसित किया गया है। नर्सरी से इस वन प्रभाग के दोगाड़ी, बूम और चंपावत रेंज के अतिरिक्त सुरक्षा बलों, हरेला पर्व आदि के अवसरों पर पौध की आपूर्ति की जाती है।11 सितंबर को डॉक्टर सिन्हा द्वारा चंपावत वन प्रभाग अंतर्गत मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत जिम कॉर्बेट ट्रेल के निर्माण के तहत चंपावत रेंज में 0.5 कि०मी० चंपावत ट्रेल का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उनके द्वारा निर्देशित किया गया कि इस ट्रेल को विकसित करने हेतु मुख्य मोटर मार्ग एवं ट्रेल में जगह-जगह पर साइनेज विकसित किए जाएं तथा ट्रेल से संबंधी अन्य जानकारी पूर्व में अभिलिखित जानकारी के आधार पर प्रदर्शित किया जाए। इसी ऐतिहासिक स्थल पर प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट द्वारा सन् 1907 में चम्पावत के प्रसिद्ध मैन ईटर टाइग्रेस, जिसने 436 व्यक्तियों को मारा था, का शिकार किया गया था। भविष्य में इस स्थल के विकसित होने के आलोक में समुचित कूड़ा प्रबंधन की तैयारी भी सुनिश्चित की जाए। साथ ही जनसहभागिता द्वारा इस ट्रेल में समुदाय के लोगों को जोड़ा जाए जिससे कि उन्हें रोजगार के वैकल्पिक शुभ अवसर प्राप्त हो सके। अवगत कराया कि चंपावत वन प्रभाग में कुल 6 ट्रेल विकसित की जायेंगी, जिनकी कुल लम्बाई 35 किलोमीटर रहेगी। साथ ही इस परियोजना के अंतर्गत कुल 07 वन विश्राम भवनों का जीर्णोद्धार कार्य किया जाएगा। इसमें स्थानीय युवकों को नेचर गाइड एवं बर्ड वाचिंग गाइड का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के साथ होमस्टे एवं इको टूरिज्म गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें लगभग 200 लाभार्थियों को जोड़ा जा सकेगा। निकटवर्ती 8 ग्रामों में इको विकास समिति (ईडीसी) का गठन किया जाएगा जिनके माध्यम से इको टूरिज्म गतिविधियों का समग्र रूप से संचालन एवं प्रबंधन किया जाना है।