उत्तराखंड

चंपावत:डाक्टरों की राय पटाखों के धमाके प्राणियों के लिए खतरनाक दीपावली को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹

Kali Kumaun Khabar

डाक्टरों की राय पटाखों के धमाके प्राणियों के लिए खतरनाक दीपावली को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

लोग मानते हैं कि ज्योति पर्व के अवसर पर बगैर पटाखों के धमाके किए बिना त्योहार की खुशियां धुंमिल पड़ जाती है। यदि इसमें थोड़ी सी असावधानी हो जाए तो पूरा जीवन ही बर्बाद हो जाता है। पटाखों से पैदा होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए चिकित्सकों की राय में पटाखों के धमाकों का शोर कम होना चाहिए। सीएमओ चंपावत डॉ देवेश चौहान ने दीपावली पर्व को देखते हुए जिला चिकित्सालय में चार बैंड का बर्न वार्ड तैयार किया है जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसी प्रकार टनकपुर एवं लोहाघाट के चिकित्सालयों को भी अलर्ट मोड में रखा गया है। सीएमओ ने लोगों को आगाह किया है कि वे छोटे बच्चों के हाथों में पटाखे कदापि न दे उस वक्त फुल आस्तीन के कपड़े अवश्य पहनने चाहिए। साथ ही उस स्थान में ठंडा पानी अवश्य रखा जाए। जिससे आग से झुलसने पर वह पानी फास्ट-एड के रूप में प्रयोग किया जा सके। उनका यह भी कहना है पटाखों से जलने पर वह शरीर के अन्दर तक जख्म पैदा कर देता है।

वही लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय की सीएमएस डॉ सोनाली मंडल का कहना है कि पटाखों के धमाकों की आवाज हर प्राणी के लिए बेहद खतरनाक होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह और भी खतरनाक होती है। धमाकों की आवाज से उन्हें दूर रखने के साथ धुल एवं धुएं से भी बचाया जाना चाहिए। कभी कभी तो धमाकों की आवाज से तो समय से पूर्व गर्भवती महिला का प्रसव तक हो जाता है।

दुग्ध संघ के पशु चिकित्सक डॉ अमित कुमार के अनुसार धमाकों की आवाज पशु पक्षियों को गोली की तरह लगती है इससे गाय आदि पशु तनाव में आ जाते हैं जिससे उनका दूध भी कम हो जाता है। पशु एकदम भयाक्रांत हो जाते हैं। इसी प्रकार पक्षियों के छोटे-छोटे बच्चों की मौत तक हो जाती है। शरद ऋतु आने से पूर्व पक्षियों के प्रजनन काल पूरा हो होता है। दीपावली की खुशियां इन मूख जानवरों व पक्षियों के लिए तो अभिशाप बन जाती है। जिसे देखते हुए पटाखों का कम से कम प्रयोग करते हुए उससे जानवरों को अलग रखा जाना चाहिए ।

 

 

 


Kali Kumaun Khabar

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!