सुखीढांग से बस्तिया आलवेदर रोड पर रोज दिख रहा है गुलदार। दोपहिया वाहन की सवारी, जान जोखिम में भारी। पिंजरे तक जाकर वापस आ रहा है गुलदार। कभी भी गुलदार ले सकता है जान। अधिकारी नहीं ले रहे संज्ञान।।सुखीढांग (चंपावत) राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे गजार गांव में विगत दो जुलाई को प्राथमिक विद्यालय गजार की भोजनमाता चंद्रावती देवी (३९)को मौत के घाट उतार देने वाले गुलदार की आज तक कोई शिनाख्त नहीं हो सकी ना ही उसे पिंजरे में कैद किया जा सका। उसके वावजूद भी लगातार आलवेदर रोड पर सुखीढांग से बस्तिया के बीच गुलदार की धमक प्रतिदिन दिखाई पड़ रही है।वाहन चालकों और वन विभाग के कर्मचारियों को गस्त के दौरान शायं छ: बजे से नौ बजे रात तक गुलदार सड़क पर चहलकदमी करते दिखाई दे रहा है।
ज्ञातव्य हो कि जुलाई अगस्त माह में गुलदार आधा दर्जन से अधिक दोपहिया वाहन सवारों को घायल कर चुका है। विगत दिनों धूरा के ग्राम प्रधान की अगुवाई में ग्रामीणों ने गुलदार को नरभक्षी घोषित करने एवं टैर्कुलाइजर कर पकड़ के अन्यत्र छोड़ने की मांग मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में जाकर की थी।मगर वन विभाग अनदेखी व अनसुनी कर रहा है।वन विभाग की कार्यप्रणाली को देख कर लगता है कि जब तक गुलदार कोई बड़ी घटना को अंजाम नहीं देता है तब तक विभाग की कुम्भकरणी निद्रा नहीं टूटने वाली है। ग्रामीणों ने कहा
वन कर्मी शायं छ बजे से नौ बजे रात तक दो पहिया वाहन सवारों को जागरूक कर रोकने व यात्रा न करने की बात कहकर रस्म अदायगी कर रहे हैं। आक्रोशित क्षेत्रवासी अब स्थानीय विधायक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने शीघ्र एक शिष्टमंडल ले कर देहरादून जाने की तैय्यारी कर रहे हैं।