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लोहाघाट के कृषि विज्ञान केंद्र को विवेकानंद कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा को सौंपने व कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी के ट्रांसफर की किसानों ने उठाई मांग।

रिर्पोट:लक्ष्मण बिष्ट

Kali Kumaun Khabar

लोहाघाट के कृषि विज्ञान केंद्र को विवेकानंद कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा को सौंपने व कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी के ट्रांसफर की किसानों ने उठाई मांग।

पंतनगर कृषि विद्यालय द्वारा संचालित लोहाघाट स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों का मोह समाप्त हो गया है। चंपावत को मॉडल जिला बनाने में इस केंद्र को केंद्र बिंदु बनाकर खेती के जरिए किसानों ने अपनी तकदीर बदलने की जो सोच रखी थी, वह कपूर की तरह उड़ गई है। एक समय था जब यहां उद्यान वैज्ञानिक के रूप में डॉ ए. के सिंह ने अपने कार्य व व्यवहार से इस केंद्र को न केवल ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया बल्कि किसानों को खेती की नई-नई तकनीक से जोड़कर उनकी आय को दो नहीं तीन गुणा करने का प्रयास किया। आज भी किसान अपने इस हितैषी वैज्ञानिक को दिल से याद करते हैं जिनके बदौलत वह स्वाभिमान से जीवन व्यापन कर रहे हैं। अब केंद्र की परिस्थितियों एकदम बदल गई है। प्रभारी के रूप में ऐसे वैज्ञानिक को तैनात किया गया है जिन पर कथित आरोप है कि ना तो उन्हें यहां किसान जानते हैं न हीं वह यहां रहती हैं। किसानों के पास ऐसे पुख्ता प्रमाण है जिसमें प्रभारी के बिना अवकाश के गायब रहने और आने के बाद हाजरी रजिस्टर में हस्ताक्षर किए गए हैं। इन सब बातों में प्रभारी को विश्वविद्यालय के अधिकारियों का संरक्षण मिल रहा है जिसे देखते हुए किसान इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस कृषि विज्ञान केंद्र को विश्वविद्यालय के अधीन से हटाकर इसे विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा को सोपा जाए जहां ये किसान खेती की नई नई तकनीकी जानकारी प्राप्त कर सकें। वर्तमान में यहां के किसान युवा वैज्ञानिक डॉ. खड़ायत एवं उद्यान वैज्ञानिक डॉ रजनी पंत के अलावा दूर दराज के किसान अन्य किसी वैज्ञानिकों को नहीं जानते हैं। किसान नेताओं ने कहा कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी को हटाने की मांग को लेकर उनके द्वारा कृषि मंत्री गणेश जोशी तक से मुलाकात करी गई पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया जिला प्रशासन को भी इसकी सूचना दी गई पर कोई कार्रवाई कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी पर नहीं करी जा रही है भाई किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष नवीन करायत का कहना है कि लोहाघाट का केवीके अब किसानों के मतलब का नहीं रहा। जहां प्रभारी को घर बैठे मुफ्त का वेतन मिलने लगे तो इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्र की हालत अब कितनी खराब हो गई होगी।यहां काम करने वाले वैज्ञानिकों का जीना मुश्किल बना हुआ है।

सीमावर्ती क्षेत्र के किसान मोहन चंद्र पांडे का कहना है कि प्रभारी के रहते अब जिला प्रशासन ने भी केंद्र की ओर मुंह फेर लिया है। मॉडल जिले को लेकर जो योजनाएं बनाई जा रही थी वह प्रभारी के रहते धरी की धरी रह गई हैं। ऐसे हालातो में इस केंद्र को पंत नगर विश्वविद्यालय से हटकर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के अधीन लाया जाना चाहिए।

 

चंद्र बल्लभ जोशी का कहना है कि ऐसे हालातो में तो कृषि विज्ञान केंद्र को बागेश्वर के केवीके की तरह विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा को सौपा जाए। अब पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा इस एशिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को केवल हाथी दांत बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

 

गंगा दत्त जोशी का कहना है कि केंद्र की प्रभारी के रहते किसानों का दूर तक भला होने की बात सोची भी नहीं जा सकती। यदि इन्हें शीघ्र नहीं हटाया गया तो किसान धरना प्रदर्शन कर अपना आक्रोश तो व्यक्त करेंगे ही इस माहौल में यहां कोई काम करने वाला वैज्ञानिक अपना काम नहीं कर सकता।


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