लोहाघाट:जाते-जाते दृष्टिहीनों को संसार दिखा गई हरिप्रिया। पहली बार दोनों आंखें नेत्र बैंक को देकर खोल दी समाज की आंखें।
रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹
जाते-जाते दृष्टिहीनों को संसार दिखा गई हरिप्रिया। पहली बार दोनों आंखें नेत्र बैंक को देकर खोल दी समाज की आंखें।
तीलू रौतेली पुरस्कार विजेता व सामाजिक कार्यकर्ता रीता गहतोड़ी की माता हरिप्रिया गहतोड़ी 75 वर्ष की आयु में अनंत ज्योति में विलीन हो गई। संसार से विदा होते समय वह अपनी दोनों आंखें उन लोगों के लिए दान कर गई जिनके लिए ईश्वर की सृष्टि कल्पना मात्र थी।यह जिले की पहली महिला थी जिनके शवदाह से पहले उनकी इच्छा अनुसार दोनों आँखें उपजिला चिकित्सालय के नेत्र सर्जन विराज राठी ने कार्नियां ( आंखें) निकाली । जिन्हें रुद्रपुर से विशेष रूप से आए महाराजा अग्रसेन ग्लोबल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मित्तल नेत्रदान केंद्र को दी।
जिनके दो प्रतिनिधि मनीष रावत व एसके मिश्रा डॉक्टर राठी की पहल पर यहां पहुंच गए थे। लोगों ने हरिप्रिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, दूसरों के लिए अपने नेत्र देने वाली महिला को हमारा शत-शत प्रणाम। जाते-जाते दृष्टिहीनों को संसार दिखा गई हरिप्रिया। नेत्रदान करने वाली चंपावत जिले की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी के कारण और दृष्टिहीनों के लिये संसार देखने के द्वार खुल गए हैं। नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ विराज राठी द्वारा अब नेत्रदान करने वाले किसी भी दानवीर के शरीर त्यागने के बाद उनकी इच्छानुसार उनका स्थानीय स्तर पर कॉर्निया(आँख) निकालकर उसे सुरक्षित रखना संभव हो गया है। जिसके लिए सीआर मित्तल नेत्रदान केंद्र द्वारा उन्हैं सुविधा उपलब्ध की गयी है। जिससे दानदाता के अंतिम संस्कार में देर ना हो, जब तक रुद्रपुर से नेत्र बैंक की टीम यहां पहुंचेगी तब तक मीडिया में यहां कार्निया सुरक्षित रहेगा। डॉक्टर राठी की इस पहल का लोगों ने जोरदार स्वागत किया है।
वही डॉक्टर विराज राठी ने स्वर्गीय हरिप्रिया की तीनों बेटियों रीता ,अंजू , करुणा सहित उनके दामाद कमलेश भट्ट को धन्यवाद दिया डॉ राठी ने कहा नेत्रदान सबसे बड़ा दान है जिससे लोगों के अंधेरे जीवन में खुशियों का उजाला लौटता है उन्होंने कहा स्व 0हरिप्रिया जी के नेत्रदान से दो लोगों के जीवन में खुशियों का उजाला लौटेगा डॉ राठी ने कहा नेत्रदान करने के इच्छुक उनसे लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में संपर्क कर सकते हैं इस दौरान वार्ड बॉय भास्कर गढ़कोटी मौजूद रहे