: लोहाघाट : लंपी वायरस से दुधारू गाय की हुई मौत
Thu, Jul 20, 2023
चंपावत जिले के लोहाघाट क्षेत्र में पशुओं में फैले लंपी रोग से पशुओं की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में 116 दुधारु गायों की मौत हो चुकी है। जबकि कई गायें मरणासन्न स्थिति में हैं। पशुपालन विभाग स्थिति पर नियंत्रण पाने में जुटा हुआ है। इसके बावजूद दुधारू पशुओं की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिस कारण क्षेत्र के पशुपालकों को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान पहुंच चुका है गुरुवार को नगर से लगी ग्राम सभा फोर्ती में मोहन चंद्र बगौली की उन्नत नस्ल की एक दुधारू गाय की लंपी से मौत हो गई है। गाय की कीमत लगभग 35 हज़ार रूपए थी
गांव में अब तक कुल 11 दुधारू गायों की मौत हो चुकी है जबकि कई गायें अभी भी बीमार हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शेखर पुनेठा, योगेश बगौली,शंकर बगौली, कैलाश उपाध्याय, महेश पुनेठा, नारायण दत्त,शेखर उपाध्याय ने सरकार और जिला प्रशासन से पीड़ित पशुपालकों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। लोहाघाट क्षेत्र में लंपी रोग से रायनगर चौडी में 15,बाराकोट 22,गुमदेश में 56,सुई में 12 दुधारू पशुओं की मौत हो चुकी की है।पशु चिकित्सक डॉ. डीके चंद बताया कि लंपी रोग को लेकर पशु पालकों को जागरूक करते हुए टीका करण किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्वदेशी गायों में इस रोग का असर कम है जबकि उन्नत नस्ल की गायों में रोग का असर काफी है। इससे पशुओं के ठीक होने में बहुत समय लग रहा है। विभाग रोग पर काबू पाने में जुटा हुआ है कुल मिलाकर लंपी ने क्षेत्र के पशुपालकों की कमर तोड़ दी है पर सरकार के द्वारा अभी तक पशुपालकों को मुआवजा नहीं दिया गया है
: चंपावत:कांग्रेस ने सरकार से पशुपालकों को मुआवजा देने की उठाई मांग
Tue, Jul 18, 2023
कांग्रेस ने सरकार से चंपावत जिले के पशुपालकों को लंपी वायरस से हुई उनके पशुओं की मौत का मुआवजा देने की उठाई मांग
चंपावत जिले में लंपी वायरस से हुई सैकड़ों पशुओ की मौत पर अब कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है पूर्व कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष भगीरथ भट व कांग्रेस प्रवक्ता शैलेंद्र राय ने कहा चंपावत जिले में महामारी की तरह फैले लंपी वायरस से जिले में सैकड़ों दुधारू पशुओं व बैलों की मौत हो गई जिसके चलते किसानों की कमर टूट गई तथा किसान आर्थिक तंगी के शिकार हो रहे हैं उन्होंने कहा चंपावत जिला दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में काफी आगे हैं और दुग्ध उत्पादन जिले के किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है
कांग्रेस नेताओं ने कहा सैकड़ों गोवंश की मौत के बाद भी अभी तक सरकार ने पशुपालकों को मुआवजा तक नहीं दिया है जिस कारण पशुपालक काफी निराश हैं और कई पशुपालक आर्थिक तंगी के चलते पशुविहीन हो गए हैं उन्होंने कहा सरकार के द्वारा सिर्फ मुआवजा देने के दावे किए जा रहे हैं पर इतना समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई ना ही पशुओं का उचित उपचार किया गया ना ही लंपी को लेकर किसी वरिष्ठ वैज्ञानिक की सलाह ली गई और जिले में पशु चिकित्सकों की भारी कमी व सरकार की उदासीनता के चलते कई दुधारू पशुओं की मौत हुई
कांग्रेस नेताओं ने कहा इस समय चंपावत जिले के पशुपालकों को सरकार के मलहम की काफी सख्त जरूरत है मुख्यमंत्री ने इसमें जल्द पहल करनी चाहिए उन्होंने कहा अगर सरकार जल्द से जल्द पशुपालकों को मुआवजा नहीं देती है तो कांग्रेस पार्टी सरकार के खिलाफ किसानों को साथ लेकर आंदोलन करेगी सरकार द्वारा अभी तक मुआवजा न दिए जाने से जिले के पशुपालकों में भी सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश नजर आ रहा है
: चंपावत:धान की रोपाई मैं पड़ा लंपी वायरस का असर एक महीना देरी से शुरू हुई सीमावर्ती क्षेत्रों में धान की रोपाई
Sat, Jul 8, 2023
धान की रोपाई मैं पड़ा लंपी वायरस का असर एक महीना देरी से शुरू हुई सीमावर्ती क्षेत्रों में धान की रोपाई
चंपावत जिले में पशुओं में फैले लंपी वायरस का असर सीमांत क्षेत्र में होने वाली धान की रोपाई में भी पड़ रहा है लंपी वायरस के चलते धान की रोपाई भी लगभग एक महीना देरी से शुरू हुई लोहाघाट ब्लॉक के नेपाल सीमा से लगे सुल्ला गांव के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि त्रिलोक सिंह ने बताया कि सीमावर्ती गांवो में फैले लंपी वायरस के कारण इस बार धान की रोपाई लगभग एक महीना देरी से हो रही है उन्होंने बताया लंपी वायरस के कारण क्षेत्र के कई ग्रामीणों के बैलों की मौत हो गई थी
तो कई बेल बीमार पड़े हुए थे जिस कारण इस बार धान की रोपाई देरी से शुरू हो पाई है त्रिलोक सिंह ने मुख्यमंत्री व प्रशासन से क्षेत्र के किसानों को उनके जानवरों की मौत का मुआवजा देने की मांग करी है ताकि किसान फिर से बैल खरीद कर खेती को सुचारू रूप से कर सकें उन्होंने कहा जानवरो की मौत से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचा है
वहीं क्षेत्र में बारिश होने से धान की रोपाई ने अब जोर पकड़ लिया ग्रामीण महिलाएं व पुरुष एक दूसरे का सहयोग करते हुए धान की रोपाई में जुट गए हैं मालूम हो सीमावर्ती सुल्ला पासम आदि क्षेत्र लाल धान की खेती के लिए काफी प्रसिद्ध है बिना किसी सरकारी मदद के किसानों के द्वारा खेती कर अन्य ग्रामीणों को खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है
आजकल पर्वतीय क्षेत्र के अधिकांश गांव में अधिकतर किसान खेती करना छोड़ शहर की ओर पलायन कर चुके है जिस कारण गांव में खेत के खेत बंजर पड़े हुए हैं लेकिन सुल्ला के यह किसान अन्य लोगों को आइना दिखा रहे हैं प्रशासन के द्वारा भी सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों को योजनाओं का लाभ देते हुए उनकी मदद करनी चाहिए ताकि किसान दोगुने जोश के साथ सुचारू रूप से अपनी पारंपरिक खेती बाड़ी कर सकें