100 रुपए के नए नेपाली नोट में नेपाल छाप रहा भारत का काला पानी व लिपुलेख का नक्शा दोनों देशों के बीच बढ़ सकता है तनाव
भारत-नेपाल के बीच फिर तनाव पैदा करने वाला बड़ा मामला सामने आने जा रहा है। नेपाल अपने यहां सौ रुपये के नए नेपाली नोट में भारत के काला पानी व लिपुलेख के सीमावर्ती भारतीय भूभाग को शामिल कर नक्शा छाप रहा है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और मैत्री संबंधो में बड़ा असर पड़ेगा। लंबे समय से नेपाल भारतीय कालापानी , लिपुलेख क्षेत्र को अपना बताता आ रहा है। जबकि भारतीय कालापानी क्षेत्र भारतीय भूभाग में है। नेपाल कहता है सुगौली संधि के बाद भारत ने कालापानी क्षेत्र नेपाल से लिया जबकि सुगौली संधि तत्कालीन नेपाल की गोरखा राजशाही और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच चार मार्च 1816 के हुई थी। भारत के बंटवारे बाद जितना भूभाग अंग्रेज प्रशासकों ने भारत को सौंपा था, भारत ने उसमें कोई भी वृद्धि नहीं की। जबकि लेकिन नेपाल कई बार भारत पर विस्तारवाद का झूठा आरोप लगा चुका है
कुछ माह पूर्व ही बनबसा में एक मैत्री बस चलाई जा रही थी, इसमें नेपाल के मानचित्र में भारतीय भूभाग को अपने क्षेत्र में दर्शाया गया था। तब प्रशासन ने इस बस को नेपाल लौटा दिया था। बनबसा से लगी नेपाल सीमा पर नेपाल के द्वारा नोमैन्स लैंड में कई जगह नेपाली नागरिकों ने कब्जा कर खेती करना शुरू कर दिया है। इस संबंध में भारत-नेपाल अधिकारियों की बैठक में मामला उठता रहता है,।वही बनबसा क्षेत्र के पूर्व सैनिकों ,व्यापारियों व जनप्रतिनिधियों ने कहा नेपाल के नए नोट में भारतीय भूभाग को अपना बता कर गलत नक्शा छापने से दोनों देशों के बीच संबंध खराब होंगे मित्रता पर अपनापन नहीं रहेगा। लोगों के मनों और संबंधों में दरार पैदा होगी। लोगों ने कहा नेपाल अपने नए नोट में गलत नक्शा दिखा कर उकसाने वाला कार्य कर रहा है। भारत ने कभी भी नेपाल या किसी भी अन्य पड़ोसी देश की एक इंच जमीन नहीं ली है। नेपाल भारत के बरसों से मैत्री संबंध हैं। नेपाल सरकार को वास्तविक अपना सही नक्शा नई मुद्रा में दर्शाना होगा। वही बनबसा क्षेत्र के व्यापारियों ने आक्रोश जताते हुए कहा नेपाल के इस नए नोट को हम स्वीकार नहीं करेंगे नेपाल इस प्रकार का कार्य कर दोनों देशों के संबंधों रोटी बेटी के रिश्ते के बीच दरार पैदा कर रहा है नेपाली मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है