पूर्ण विधि विधान से संपन्न हुआ माता तुलसी व भगवान शालिग्राम का विवाह
आज देवउठनी एकादशी के उपलक्ष पर लोहाघाट मे जगह-जगह पर चातुर्मास एकादशी व्रत का परायण तुलसी विवाह भगवान शालिग्राम के साथ पूर्ण वैदिक विधान से करवाया गया क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित प्रकाश चंद्र पुनेठा शास्त्री ने बताया कि आज भगवान विष्णु अपने योग निद्रा से जाग गए थे आज के दिन से विवाहयज्ञ ,गृह प्रवेश आदि सब शुभ कार्य शुरू हो सकते हैं
जो मनुष्य गृहस्थ जीवन में रहते हुए एकादशी व्रत नहीं कर पाता वह भगवान विष्णु की कृपा पात्र से वंचित रह जाता है एक पौराणिकथा के अनुसार माता शक्ति के कोप से बचने के लिए मेधा ऋषि ने अपने शरीर को पृथ्वी के अंदर छुपा लिया और उस स्थान से चावल और जौ का पौधा उग गया और उस दिन एकादशी तिथि थी इसीलिए एकादशी तिथि के दिन अन्न ग्रहण करने से मेधा ऋषि के माँस और रक्त पीने का दोष लगता है
दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के कहने से सारे पाप एकादशी तिथि के दिन अन्न में वास करने लगे इस दिन जो अन्न ग्रहण करेगा वह पाप से युक्त हो जाएगा । इसलिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान जप पूजन और फलाहार करना चाहिए इस तरह से साल भर में 24 एकादशी को भगवान के 24 अवतारों का ध्यान करना चाहिए जो मनुष्य एकादशी व्रत करता है संसार के समस्त सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति करता है लोहाघाट में कई स्थानों पर सामूहिक रूप से पूजा अर्चना संपन्न कराई गई