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: लोहाघाट:भगवत प्रसाद पाण्डेय ने गंगा द्वार पत्र के जरिये लोगों को दिया जंगल बचाने का संदेश

Laxman Singh Bisht

Sat, Jun 15, 2024
भगवत प्रसाद पाण्डेय ने गंगा द्वार पत्र के जरिये लोगों को दिया जंगल बचाने का संदेश भारतीय संस्कृति, सभ्यता और धर्मिक आस्था की मुख्य विरासत गंगा नदी के धरती पर अवतरण का पर्व श्री गंगा दशहरा 16 जून (रविवार) को मनाया जायेगा। धर्मिक मान्यता है कि गंगा मैया को महाराज भगीरथ अपने तप से जिस दिन इस धरती पर लाये थे, वह ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। इस कारण यह तिथि गंगा दशहरा के नाम से जानी जाती है। कुमाऊँ में इसे 'दशार' भी कहते हैं। इस दिन लोग गंगा नदी के अलावा इसकी सहयोगी नदियों और पवित्र सरोवरों में स्नान-दान कर दश पापों को हरने की प्रार्थना करते हैं और अपने घर के मुख्य द्वार पर गंगा द्वार पत्र लगाते है। ग्राम पाटन पाटनी लोहाघाट निवासी साहित्यकार, पर्यावरण प्रेमी और राजस्व विभाग में अधिकारी भगवत प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि मान्यता अनुसार गंगा दशहरा द्वार पत्र लगाने से घर में बज्रपात और अग्निकाण्ड का भय नहीं रहता है। कुछ साल पहले तक पुरोहितगण हाथ से बनाये द्वारपत्र अपने यजमानों को बाँटते थे किंतु अब बाजार से छपे-छपाये द्वारपत्र वितरित किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि गंगा नदी जिसे हम सर्वपापहारी कहते हैं,लोगों द्वारा बहुत गंदी और प्रदूषित कर दी हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड की अन्य नदियों, तालाबों, सरोबरों, नौलों, धारों आदि का अस्तित्व आज खतरे में है। अनियोजित विकास और लकड़ी तस्करों द्वारा पेड़ों का अत्यधिक पातन किये जाने से जंगल नष्ट हो रहे हैं। इस कारण पहाड़ों में वर्षा कम हो रही है और जल के स्रोतों में कमी होती जा रही है। उल्लेखनीय है कि गंगा दशहरा के पर्व पर भगवत प्रसाद पाण्डेय प्रतिवर्ष अपने हाथ से निर्मित द्वार पत्र बना कर कोई न कोई संदेश अवश्य देते हैं। उन्होंने कहा कि साल दर साल वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं। वनों में आग का मुख्य कारण केवल मानवीय लापरवाही और शरारत है। इस बार के गंगा द्वार पत्र में भगवत प्रसाद पाण्डेय ने वनों को आग से बचाने की बात को चित्रित करते हुए लोगों से जागरूक रहने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने की अपील की है। वहीं भगवत पाण्डेय ने यह भी बताया कि प्रति वर्ष वह अपने द्वार पत्र को ऑनलाइन माध्यम से देश-विदेश में रह रहे परिचितों और रिश्तेदारों को भेजते है जिससे वह भी अपने घरों में यह द्वार पत्र लगा सकें।वहीं सोशल मीडिया में भी उनके बनाये हुए गंगा द्वार पत्र को पसंद किया जा रहा है । भगवत पाण्डेय की इस मुहिम का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया और कहा कि गंगा दशहरा द्वार पत्र के माध्यम से देश और विदेशों में रह रहे लोगो को गंगा दशहरा द्वार पत्र भेजकर लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखना का यह प्रयास सराहनीय है।

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