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: लोहाघाट:आजादी के 75 साल बाद भी गुमदेश के लोगों को नही मिल पाई बेहतर चिकित्सा सुविधा गुमदेश क्षेत्र की तीस हजार की आबादी के बीच नहीं है रोगियों के लिए कोई पुख्ता इंतजाम। अस्पताल खोलने के लिए गुमदेश की पन्ना देवी ने दिया था 10 तोले का ग्लोबंद  

Laxman Singh Bisht

Fri, Apr 5, 2024
आजादी के 75 साल बाद भी गुमदेश के लोगों को नही मिल पाई बेहतर चिकित्सा सुविधा सन 1948 मे पुलहिंडोला में जिला परिषद की डिस्पेंसरी का उद्घाटन करने अल्मोड़ा से सिविल सर्जन जिन्हें आज सीएमओ कहते हैं, आए थे। तब रौल गांव की पन्ना देवी ने अपना दस तौले का सोने का हार सिविल सर्जन को देते हुए कहा यहां ऐसा अस्पताल बना दो जिससे गुमदेश के लोगों का भला हो सके। उसी दिन अस्पताल में लगाने के लिए चांदी का एक ताला - चाबी भी यादगार स्वरूप दिया गया जो आज भी इस चिकित्सालय में शो-केस में रखकर उसे सुरक्षित रखा गया है। वर्तमान में इस डिस्पेंसरी को पीएचसी का दर्जा मिल चुका है। गुमदेश क्षेत्र की तीस हजार से अधिक आबादी के बीच इस अस्पताल में आज भी महिलाओं के लिए प्रसव जैसी बुनियादी सुविधा तक नहीं है जिसके लिए उन्हें लंबी दूरी तय कर लोहाघाट जाना पड़ता है। यह बात अलग है कि अपनी विशिष्ट सेवा के लिए विभाग में पहचान रखने वाले वरिष्ठ फार्मासिस्ट मनोज आर्या के यहां आने के बाद अस्पताल को तीन बार कायाकल्प पुरस्कार मिल चुका है। बुजुर्ग भगवत सिंह धोनी ने बताया कि शुरुआती दौर में तो यहां मिलिट्री के रिटायर डॉक्टर सेवा के लिए आया करते थे। 75 साल बाद भी गुमदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलने का पन्ना आमा का सपना आज भी पूरा नहीं हो पाया है। पीएचसी के पास पर्याप्त भूमि उपलब्ध है जहां अस्पताल के पुराने भवन का जिर्णोद्धार किया गया है यदि यहां महिला चिकित्सक समेत बाल रोग एवं फिजिशियन के पद सृजित कर अस्पताल का विस्तार करने के साथ आवासीय भवन बनाए जाए तो लोगों को और बेहतर सुविधा मिल सकती है। एक ही अस्पताल में एलोपैथी, आयुर्वेद एवं होम्योपैथिक तीनों पैथिया संचालित कि जा रही हैं तीनों ही पैथियों के यहां डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ नियुक्त किए गए है।  पैरामेडिकल स्टाफ के लिए भी यहां कोई सुविधा नहीं है वर्तमान में अस्पताल के लिए पैदल रास्ता तक ठीक नहीं है यही नहीं आपातकाल की स्थिति में अस्पताल को सड़क से जोड़ने की भी तात्कालिक आवश्यकता है।वही मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के के अग्रवाल का कहना है कि चुनाव के बाद वे स्वयं पीएचसी का निरीक्षण कर वहां की जरूरतों का जायजा लेने के बाद वह सभी उपाय करेंगे जिससे गुमदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलने से उनकी लोहाघाट - चंपावत की दौड़ समाप्त हो सके।

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