रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹👹 : लोहाघाट ब्लॉक प्रमुख: बीडीसी सदस्यों की हो सकती है बल्ले-बल्ले

लोहाघाट ब्लॉक प्रमुख: बीडीसी सदस्यों की हो सकती है बल्ले-बल्लेलोहाघाट ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी को लेकर सरगर्मियाँ तेज़ हो चुकी हैं। इस बार मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक ताकत और सामाजिक प्रभाव का भी होने जा रहा है। कई आर्थिक रूप से मजबूत, ऊर्जावान और प्रभावशाली चेहरे लोहाघाट ब्लॉक प्रमुख पद के लिए अपनी दावेदारी ठोकने की तैयारी में हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि ब्लॉक के बीडीसी (क्षेत्र पंचायत) सदस्यों की अहमियत अचानक से बढ़ गई है। हर गली, हर गांव में अब बीडीसी सदस्यों को साधने और उनसे मेल-जोल बढ़ाने का दौर शुरू हो गया है। फोन कॉल्स, बैठकों और चाय-नाश्ते के बहाने ‘समर्थन निर्माण अभियान’ ने रफ्तार पकड़ ली है।
बीडीसी सदस्यों के इर्द-गिर्द घूमेगी राजनीति
पिछली बार की अपेक्षा इस बार कई नए चेहरे मैदान में उतरने को आतुर हैं, जिनके पास संसाधनों की कमी नहीं है। कुछ स्थानीय व्यापारियों, पूर्व जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रभावशाली लोग ब्लॉक प्रमुख बनने के लिए तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में बीडीसी सदस्य ही किंगमेकर साबित होंगे।
समर्थन के लिए शुरू हो चुकी है जोड़तोड़
अंदरखाने समीकरण बनना शुरू हो गए हैं। समर्थन जुटाने के लिए भावी उम्मीदवारों ने बीडीसी सदस्यों के घर-द्वार तक पहुंचना शुरू कर दिया है। कुछ जगहों पर निजी मेल-जोल के बहाने मुलाकातें हो रही हैं, तो कहीं कहीं रणनीतिक डिनर और बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं।
जनता को चाहिए विकास, लेकिन…
हालांकि जनता चाहती है कि ब्लॉक प्रमुख ऐसा हो जो क्षेत्र का समग्र विकास कर सके – चाहे वो सड़क हो, शिक्षा हो, पानी या रोज़गार। लेकिन हकीकत ये भी है कि जब समर्थन का खेल सिर्फ बीडीसी सदस्यों पर टिकता है, तब जनभावना पीछे छूट जाती है।अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार लोहाघाट में विकास का विजन भारी पड़ता है या फिर संसाधनों और संपर्कों की सियासत।