रिपोर्ट :लक्ष्मण बिष्ट : डायट लोहाघाट में विज्ञान कार्यशाला का शुभारंभ नवाचार आधारित शिक्षण पद्धतियों पर गहन मंथन शुरू।
डायट लोहाघाट में विज्ञान कार्यशाला का शुभारंभ नवाचार आधारित शिक्षण पद्धतियों पर गहन मंथन शुरू।
जनपदभर से जुटे दो दर्जन से अधिक विज्ञान शिक्षक, टी.एल.एम. निर्माण से लेकर प्रयोग आधारित शिक्षण तक पर रहेगा जोर।
लोहाघाट। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट ) लोहाघाट चंपावत में जिला संदर्भ समूह विज्ञान कार्यशाला का शुभारंभ आज पारंपरिक विधि से माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने कार्यशाला के उद्घाटन के साथ ही प्रतिभागियों को विज्ञान शिक्षण में नवीन प्रयोगों और रचनात्मकता के महत्व पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया।कार्यशाला का उद्देश्य कक्षा-कक्ष में विज्ञान विषय को अधिक रोचक, व्यावहारिक और बच्चों के स्तर के अनुरूप बनाने की दिशा में शिक्षकों की दक्षता बढ़ाना है। उद्घाटन सत्र में डॉ. मिश्र ने कहा कि विज्ञान सीखने का सबसे प्रभावी तरीका ‘करके सीखना’ है, इसलिए कार्यशाला का मुख्य केंद्र टी.एल.एम. निर्माण, मॉडल निर्माण, विषयगत चर्चाओं और प्रयोग आधारित गतिविधियों पर रहेगा। प्रतिभागियों को कार्यशाला की संरचना, गतिविधियों, समूह कार्यों और अपेक्षित आउटपुट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान विज्ञान विषय की जटिल अवधारणाओं—जैसे पदार्थ, ऊर्जा, जैव विविधता, यांत्रिकी, भूगोल–विज्ञान और पर्यावरण—को सरल रूप में प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न शिक्षण सामग्री विकसित की जाएगी। सत्रों में शिक्षक न सिर्फ मॉडल और प्रयोग तैयार करेंगे, बल्कि उन्हें कक्षा-कक्ष में प्रभावी ढंग से उपयोग करने की तकनीकों पर भी अभ्यास करेंगे। इस पहल से छात्र–छात्राओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने और पाठ्यक्रम को जीवन से जोड़ने में बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।कार्यशाला में डॉ. एल.एस. यादव, दीपक सोराड़ी, डॉ. कमल गहतोड़ी, भगवती जोशी, वरिष्ठ शिक्षक लक्ष्मण सिंह मेहता और अमेरिकन इंडियन फ़ाउंडेशन (AIF) की समन्वयक कुसुम जोशी समेत दो दर्जन से अधिक विज्ञान शिक्षक–शिक्षिकाएँ उपस्थित रहे। सभी प्रतिभागियों ने कार्यशाला को विज्ञान शिक्षण की गुणवत्ता सुधारने का महत्वपूर्ण अवसर बताया। आगामी दिनों में समूह आधारित गतिविधियाँ, विषयवार मॉड्यूल निर्माण, शिक्षण रणनीतियों की प्रस्तुति, नवोन्मेषी प्रयोगों का प्रदर्शन और मूल्यांकन आधारित चर्चाएँ आयोजित की जाएँगी। डीआईईटी का यह प्रयास जिले के विद्यालयों में विज्ञान शिक्षा को अधिक प्रभावी और आकर्षक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।