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रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट : लोहाघाट:आरएसएस स्वयंसेवकों के पदसंचलन से गूंज उठा पाटन क्षेत्र, नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागत

Laxman Singh Bisht

Mon, Oct 6, 2025

आरएसएस स्वयंसेवकों के पदसंचलन से गूंज उठा पाटन क्षेत्र, नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागतराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की झूमाधुरी शाखा, कोलीढेक मंडल के तत्वावधान में संघ के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भव्य पद संचलन एवं बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन संघ के गौरवशाली इतिहास, उसके आदर्शों और राष्ट्र निर्माण में उसकी निरंतर भूमिका को समर्पित था।स्वयंसेवक शशांक पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि सुबह से ही सम्पूर्ण क्षेत्र में उत्साह का वातावरण था। गाँव के मुख्य मार्गों को सजाया गया था, और जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे। स्वयंसेवक पारंपरिक गणवेश में, हाथों में दंड लिए हुए, अनुशासनबद्ध पंक्तियों में पद संचलन करते हुए जब निकले तो पूरा वातावरण “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम्” के जयघोषों से गूंज उठा। गाँववासियों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया और कार्यक्रम की सराहना की।कार्यक्रम की शुरुआत शाखा स्थल पर प्रार्थना और ध्वज वंदन के साथ हुई। तत्पश्चात मुख्य वक्ता किशोर जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले सौ वर्षों से भारत की सांस्कृतिक धारा को सशक्त और जागृत रखने का कार्य कर रहा है। संघ का उद्देश्य केवल संगठन नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रभावना का विकास करना है। संघ व्यक्ति को सज्जन, अनुशासित और राष्ट्रनिष्ठ बनाता है।”उन्होंने आगे कहा कि “आरएसएस की शताब्दी वर्ष की यह यात्रा हमें स्मरण कराती है कि यह संगठन देश की आत्मा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। जब भी राष्ट्र पर संकट आया है, संघ के स्वयंसेवकों ने सेवा, साहस और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया है।” किशोर जी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में संघ के संस्कारों को अपनाकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएँ।कार्यक्रम की अध्यक्षता कैलाश जी ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि “संघ के स्वयंसेवक अनुशासन, समर्पण और निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। शताब्दी वर्ष का यह पर्व केवल संघ के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण है। आज जब हम सौ वर्षों की इस गौरवगाथा को याद कर रहे हैं, तब यह आवश्यक है कि हर नागरिक संघ की भावना को समझे और समाज के कल्याण में सहभागी बने।”पद संचलन का मार्ग शिशु मंदिर से राजकीय पॉलीटेक्निक होते हुए पाटन पुल होते हुए शिशु मंदिर पाटन में समाप्त हुआ।इस मौक़े में छोटे-छोटे बाल स्वयंसेवक भी बड़ों के साथ कदम मिलाकर चलते हुए राष्ट्रप्रेम की भावना को सजीव कर रहे थे। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने भी रास्तों के किनारे खड़े होकर स्वयंसेवकों का अभिनंदन किया।कार्यक्रम के अंत में सभी स्वयंसेवकों ने भारत माता के चरणों में नमन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्वयंसेवक, शाखा के वरिष्ठ कार्यकर्ता, ग्रामवासी और युवा उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि आने वाले वर्षों में संघ के आदर्शों को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाया जाएगा।पूरे आयोजन में अनुशासन, देशभक्ति और संगठन की भावना का अद्भुत संगम देखने को मिला। शशांक पाण्डेय ने बताया कि झूमाधुरी शाखा, कोलीढेक मंडल का यह कार्यक्रम क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बना जिसने यह संदेश दिया कि जब व्यक्ति राष्ट्र के प्रति समर्पित होता है, तभी सच्चे अर्थों में समाज और देश का उत्थान संभव होता है।इस अवसर पर आनंद ओली,तनुज भारत, सचिन जोशी, भूपेन्द्र भुवन बोहरा,जीवन तिवारी,मोहन जोशी,भूपेन्द्र देव, हरीश अधिकारी,देव सिंह अधिकारी, सुंदर नाथ,पप्पू बोहरा,अंकित कुंवर,रजत जोशी,कौशल तलनीया,हरीश पाटनी,संदीप पांडेय,चंद्र प्रकाश पांडेय,नवीन पाटनी, रामू जोशी,उमेश पांडेय, चंद्रकांत पाटनी, दीपा पांडेय,सलोनी विश्वकर्मा,समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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