रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹👹 : लोहाघाट:ऐतिहासिक चेतोला मेले की तैयारी जोरो पर भव्य रूप से सजा चमू देवता का दरबार सात अप्रैल को होगा मुख्य मेला

ऐतिहासिक चेतोला मेले की तैयारी जोरो पर बकासुर बध की खुशी में मनाया जाता है चेतोला
लोहाघाट:चंपावत जिले के लोहाघाट ब्लॉक के सीमांत गुमदेश क्षेत्र में लगने वाले ऐतिहासिक चेतोले मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही है मेले को लेकर क्षेत्र में काफी उत्साह है ।क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता दीनू धोनी व शिक्षक कमल प्रथोली ने बताया प्रथम नवरात्र को चेतोले मेले का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ किया जाएगा। 6 से 8 अप्रैल तक भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा उन्होंने बताया 6 अप्रैल को चमू देवता का रथ मड़गांव की ओर प्रस्थान करेगी ,7 अप्रैल मुख्य मेले के दिन ढोल नगाड़ों के साथ मड़ गांव से चमू देवता का रथ बारह गांव के जत्थो के साथ चमू देवता के मंदिर पहुंचकर मंदिर की परिक्रमा करेगा । 8 अप्रैल पसेरा (व्यापारिक) मेले के साथ मेले का समापन किया जाएगा । दीनू धोनी ने बताया मंदिर कमेटी के द्वारा मेले की तैयारी की जा रही है चमू देवता के मंदिर व रथ को भव्य रूप से रंग रोगन कर चमकाने के साथ साथ मंदिर क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया गया है तथा मुख्यमंत्री धामी को भी चेतोले में शामिल होने का न्योता भेजा गया है। मेले की व्यवस्थाओं को लेकर मंदिर कमेटी के द्वारा प्रशासन से सहयोग मांगा गया है। क्षेत्र के पंडित मदन कलोनी ने बताया चेतोला मेला एक पौराणिक मेला है । प्राचीन काल में क्षेत्र में बकासुर नामक राक्षस का आतंक था जो प्रतिदिन बारी लगाकर एक परिवार से एक मनुष्य को मारकर खा जाता था।जब क्षेत्र में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला के पोते की बारी आई तो बुजुर्ग महिला ने चमू देवता से अपने पोते को बचाने की गुहार लगाई तब चमू देवता ने भीषण युद्ध में बकासुर राक्षस का वध कर बकासुर के आतंक से ग्रामीणों को निजात दिलाई तब से बकासुर के बध की खुशी में आदिकाल से गुमदेश क्षेत्र में चेतोला मनाया जाता है। जिसमें विशेष तौर पर चावल से बने पापड़ चमू देवता को अर्पित किए जाते हैं । चेतोला मेले में अतिथि सत्कार की परंपरा निभाई जाती है मेले में आने वाले लोगों को गुमदेश के ग्रामीण अतिथि देवो भव: की परंपरा निभाते हुए भोजन कराते हैं । चमू देवता का आशीर्वाद लेने तथा चेतोला में शामिल होने बड़ी संख्या में प्रवासी अपने गांव पहुंचते हैं। मालूम हो चेतोला एक पौराणिक मेला है जिसे गुमदेश क्षेत्र के ग्रामीण काफी धूमधाम से मनाते हैं तथा हजारों की संख्या में लोग व व्यापारी मेले में पहुंचते हैं।