रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹👹 : नैनीताल: पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली से टूटता मनोबल तनाव मे पुलिस जवान ।हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका में सुनवाई।

याचिका में कहा गया तय समय पर मिले पुलिस के जवानों को प्रमोशन व वेतन भत्ता।पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली के चलते पुलिसकर्मियों मे बढ़ते तनाव और टूटते मनोबल को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली से पुलिस कर्मियों को होने वाले तनाव को लेकर दायर की गई जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी0नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद नियत की है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश करने को कहा है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की और से कहा गया जनहित याचिका में पुलिस कर्मियों की भलाई के लिए कई तरह की मांग की गई हैं ।जो मांग की गई है वह उनके सर्विस से जुड़ा हुआ मामला है। इसलिए इस मामले मे जनहित याचिका दायर नहीं सकती है। सरकार के जवाब का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा कि पुलिस का जवान 24 घंटे काम करता है। उसके बाद भी राज्य सरकार पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए न तो उनकी हौसला अफजाई करती और न ही उन्हें सम्मानित करती है ।ऊपर से अधिकारियों व जनता का दबाव अलग।याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया शहरों में शांति व्यवस्था बनाये रखने दुर्घटना व आपदा में पुलिस के हर जवान की अहम भूमिका है ।अगर तय समय के भीतर उन्हें राज्य सरकार के द्वारा जारी नियमों के तहत वेतन, एसीपी, स्वास्थ्य लाभ, प्रमोशन आदि नहीं दिया गया तो उनका मनोबल गिर जाएगा। तय समय पर उन्हें ये सुविधाएं दी जानी चाहिए।मामले को काफी गंभीरता से सुनने के बाद कोर्ट ने चार सप्ताह बाद की अगली तारीख तय की है। याचिकाकर्ता की और से यह भी कहा गया कि एक पुलिस वाला कभी चैन की नींद नहीं सो सकता है अपने परिवार के साथ समय नहीं बिता सकता है।कभी भी कहीं भी उसकी ड्यूटी लग सकती है। पुलिस का जवान और उसका मोबाइल हमेशा अलर्ट मोड़ पर रहता है। मामले मे याची अजय नारायण शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पूर्व मे मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि राज्य में पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली बेहद खराब और जवानों का मनोबल तोड़ने वाली है। राज्य बनने के बाद भी इसमें सुधार नहीं हुआ है। विभाग व सरकार की कार्यप्रणाली के चलते पुलिस के जवान काफी ज्यादा तनाव में रहते हैं।