Tuesday 14th of October 2025

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लोहाघाट:मडलक में बग्वाली मेले व बग्वाली महोत्सव की जोरदार तैयारी। सीमांत क्षेत्र में उत्साह।

16 नवंबर 2025 को होगी आयोजित यूकेएसएससी की सहायक विकास अधिकारी परीक्षा।

लोहाघाट:सीमांत विज्ञान महोत्सव 2025 में ओकलैंड पब्लिक स्कूल के 8 छात्र-छात्राओं का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हेतु चयन

लोहाघाट में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा सम्मेलन का किया आयोजन।

: चम्पावत:नाखुड़ा (भिंगराड़ा)भागवत कथा में उमड़ा जन शैलाब 

Laxman Singh Bisht

Tue, Sep 19, 2023
नाखुड़ा (भिंगराड़ा)भागवत कथा में उमड़ा जन शैलाब दूर-दूर क्षेत्र से पहुंच रहे हैं भक्त भिंगराड़ा- श्री शिव मन्दिर लधौन देवता खरही के समस्त भक्त जनों के तत्वावधान में चल‌ रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन कथा वाचक मानस रत्न प्रकाश कृष्ण शास्त्री द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि “नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है तो भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती जी के हैं। हर जन्म में पार्वती जी विभिन्ना रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं। शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है पार्वती जी ने कहा मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया उसमें से श्री सुखदेव जी का प्राकट्य हुआ कथा सुनते सुनते पार्वती जी सो गई वह पूरी कथा श्री सुखदेव जी ने सुनी और अमर हो गए शंकर जी सुखदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े। सुखदेव जी भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए। 12 वर्ष बाद श्री सुखदेव जी गर्व से बाहर आए इस तरह श्री सुखदेव जी का जन्म हुआ। कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं। कथा व्यास जी ने उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। साथ ही श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। कथा सुनकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा के मध्य में मेरी लगी श्याम संग प्रीत और मां की ममता के महत्व का भजन सुनकर भक्त आत्मसात हो गये। दूसरे दिन के मुख्य यजमान - मुकेश भट्ट के साथ समस्त क्षेत्रीय जनता, इस कथा का लाइव प्रसारण प्रकाश कृष्ण शास्त्री यूट्यूब चैनल एवं सोशल मीडिया पर भी किया जा रहा है।कथा स्थल में यजमानों सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करवाई।

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