अनुशासन से जीवन का हर क्षेत्र सरल और सफल बन जाता है-कर्नल उमेद
गुरुकुलम एकेडमी खूना लोहाघाट का विद्यालय प्रांगण में बुधवार को एक ऐसा प्रेरणादायी वातावरण बना, जिसकी गूँज लंबे समय तक छात्रों की स्मृतियों में रहेगी। इस गरिमामयी अवसर का कारण था ज़िला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल उमेद सिंह का आगमन, जिन्होंने अपने अनुभवों और सरल व्यक्तित्व से बच्चों को न केवल ज्ञान दिया बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला प्रेरक संदेश भी प्रदान किया।उनके विद्यालय आगमन के साथ ही परिसर में एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। बच्चों की आँखों में उत्सुकता थी, शिक्षकों के चेहरों पर सम्मान और गर्व, तथा वातावरण में ऐसी गरिमा कि हर कोई महसूस कर रहा था—आज कुछ विशेष होने वाला है। कर्नल उमेद सिंह जिस शांत, धीर और संतुलित व्यक्तित्व के साथ मंच पर आए, वह स्वयं एक संदेश था कि अनुशासन और विनम्रता ही महानता के सबसे बड़े स्तंभ होते हैं।
शशांक पाण्डे के संचालन में हुए कार्यक्रम में अपने संबोधन की शुरुआत में कर्नल ने बच्चों से सरल भाषा में संवाद स्थापित किया और सैन्य जीवन की मूल भावना से परिचित कराया। उन्होंने यह बताया कि एक सैनिक का जीवन केवल युद्ध, बंदूकें और सख्त अनुशासन तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह जीवन देश के प्रति समर्पण, अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्य के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक है। उन्होंने अपने वर्षों के अनुभवों से यह समझाया कि कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक और स्थिर रहना ही असली पराक्रम है। उन्होंने छात्रों को बताया कि सेना में जाकर देश सेवा करना केवल करियर नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जो हर क्षण जागरूकता और त्याग की मांग करती है।कर्नल साहब ने विद्यार्थियों को अपने जीवन के अनगिनत अनुभवों के माध्यम से यह भी समझाया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। कठिनाइयाँ हर किसी के जीवन में आती हैं, लेकिन जो व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहता है, अपने समय का सम्मान करता है, अपने शरीर और मन को मजबूत रखता है—वही महान ऊँचाइयों तक पहुँचता है। उन्होंने विद्यालय के बच्चों से यह भी कहा कि अनुशासन को यदि आदत बना लिया जाए तो जीवन का हर क्षेत्र सरल और सफल बन जाता है। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने अत्यंत ध्यानपूर्वक उनकी बातों को सुना। जब वे सेना में भर्ती होने की प्रक्रिया, तैयारी की विधि और मानसिक दृढ़ता की आवश्यकता के बारे में बता रहे थे, तो छात्रों में एक नई चमक दिखाई दे रही थी। उनको यह एहसास हो गया कि रक्षा सेवाएँ केवल बल और शक्ति पर नहीं, बल्कि चरित्र, आत्मविश्वास और कठिन परिस्थितियों में धैर्य पर आधारित होती हैं। कर्नल साहब ने यह भी कहा कि एक सैनिक के जीवन में हर दिन नया होता है, क्योंकि वह केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करता, बल्कि राष्ट्र के सपनों और उम्मीदों का प्रहरी भी होता है।विद्यालय संचालन समिति और शिक्षकगण ने कर्नल उमेद सिंह का अत्यंत हार्दिक स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रेरणादायी व्यक्तित्व का विद्यालय में आना बच्चों के लिए सौभाग्य की बात है। उनके उद्बोधन से बच्चों में न केवल देशभक्ति की भावना प्रबल हुई, बल्कि जीवन में आगे बढ़ने का उत्साह, लक्ष्य तय करने का साहस और आत्मविश्वास भी बढ़ा है। उनका यह सत्र बच्चों के लिए एक ऐसे दीपक की तरह रहा जो उनके भविष्य के मार्ग को उजाला देने वाला है।कार्यक्रम के अंत में कर्नल साहब ने बच्चों को आशीर्वचन रूप में शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वे बड़े सपने देखें, पर उन सपनों को पूरा करने के लिए परिश्रम और अनुशासन के मार्ग पर डटे रहें। उन्होंने कहा कि जीवन में वही सफल होता है जो कभी हार नहीं मानता, चाहे परिस्थितियाँ कितनी ही चुनौतीपूर्ण क्यों न हों। बच्चों ने तालियों की गड़गड़ाहट से अपनी खुशी और सम्मान व्यक्त किया।इस अवसर पर प्रबंधक राजेश पाण्डेय,प्रिंसिपल भास्कर चौबे,कविता पुनेठा,रियाज़ अहमद,चंद्र भानु,मयंक मुरारी,अंकित देव,प्रदीप कुमार,अर्जुन बिष्ट,मनमोहन गहतोड़ी, अमित तिवारी,महेंद्र जोशी,दीपा कोठारी,शैला ख़ान आदि मौजूद रहे।