Thursday 16th of October 2025

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चम्पावत जिले में शराब की दुकानों में ओवर रेटिंग का बोलबाला, आबकारी और स्थानीय प्रशासन मौन।

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रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट : चम्पावत जिले में शराब की दुकानों में ओवर रेटिंग का बोलबाला, आबकारी और स्थानीय प्रशासन मौन।

Laxman Singh Bisht

Thu, Oct 16, 2025

चम्पावत जिले में शराब की दुकानों में ओवर रेटिंग का बोलबाला, आबकारी और स्थानीय प्रशासन मौन।

शराब व्यापारियों के द्वारा ऑनलाइन पेमेंट लेने से किया जा रहा है इनकार।चम्पावत जिले की शराब की दुकानों में उपभोक्ताओं से निर्धारित दर से अधिक मूल्य वसूलने का सिलसिला लगातार जारी है। नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाते हुए दुकानदार ओवररेटिंग कर ग्राहकों से मनमाने दाम वसूल रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले में आबकारी विभाग और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।कई स्थानीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दुकानों पर हर ब्रांड की बोतल पर सरकार द्वारा तय मूल्य (MRP) साफ़ लिखा होता है, लेकिन विक्रेता उस पर ₹20 से ₹200 तक अधिक वसूल रहे हैं। अगर कोई ग्राहक एमआरपी पर शराब देने की बात कहे तो दुकानदार बहाने बनाकर या तो देने से इंकार कर देते हैं या कहते हैं कि “भाव यही चल रहा है।”

ग्राहकों की एक और बड़ी शिकायत यह है कि शराब की दुकानों में ऑनलाइन भुगतान (UPI, Paytm आदि) लेने में भी आनाकानी की जा रही है। दुकानदार केवल नकद (cash) में ही लेन-देन करना पसंद करते हैं, जिससे कई बार उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ती है। कई लोगों ने बताया कि जब वे यूपीआई से भुगतान करने की बात करते हैं, तो दुकानदार साफ़ कह देते हैं — “यहाँ सिर्फ़ कैश चलेगा।”इससे यह संदेह भी गहराता जा रहा है कि कैश में भुगतान लेकर टैक्स चोरी या अघोषित आय का खेल चल रहा है।

क्षेत्र के कई जागरूक उपभोक्ताओं ने बताया कि इस ओवररेटिंग से आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि जब सरकार पहले ही शराब पर भारी टैक्स वसूलती है, तो दुकानदारों द्वारा इस तरह अतिरिक्त पैसा लेना सीधा उपभोक्ता शोषण है।क्षेत्रवासियों ने आबकारी विभाग और ज़िला प्रशासन से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो दुकानदारों की मनमानी और बढ़ेगी।विभाग की ओर से न तो निरीक्षण किया जा रहा है और न ही किसी दुकान पर जांच की सूचना मिली है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि विभाग की यह निष्क्रियता दुकानदारों को खुली छूट दे रही है।

एक उपभोक्ता ने व्यंग्य करते हुए कहा —

“सरकार ने भाव तय किए हैं, लेकिन यहाँ तो दुकानदार ही सरकार बने बैठे हैं।”

जनता की अपेक्षा है कि ज़िला प्रशासन और आबकारी अधिकारी जल्द ही संयुक्त जांच अभियान चलाएँ, दुकानों पर रेट लिस्ट स्पष्ट रूप से लगवाएँ और ओवररेटिंग करने वालों के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करें। तभी उपभोक्ताओं का विश्वास बहाल हो सकेगा।

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