नीम करौरी बाबा कैंची धाम स्थापना दिवस पर लोहाघाट ज़िला चम्पावत निवासी शशांक पाण्डेय का आलेख
(एक अद्भुत संत की पावन स्मृति में — 15 जून का आध्यात्मिक पर्व)
भारतवर्ष आध्यात्मिक चेतना की जन्मभूमि है। यहां हर युग में किसी न किसी रूप में दिव्य संतों, महात्माओं और तपस्वियों का प्राकट्य होता रहा है जिन्होंने न केवल धर्म का पुनर्जागरण किया, बल्कि जनमानस को भी प्रेम, सेवा और करुणा का मार्ग दिखाया। इन्हीं संतों में एक विलक्षण नाम है — नीम करौरी बाबा का, जिनके जीवन, विचार और चमत्कार आज भी करोड़ों श्रद्धालुओं के जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल कैंची धाम, नैनीताल जिले की वादियों में स्थित है, जो आज केवल एक मंदिर नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन चुका है। हर वर्ष 15 जून को यहां स्थापना दिवस बड़े धूमधाम, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, जो बाबा के भक्तों के लिए किसी महापर्व से कम नहीं होता।
नीम करौरी बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मण दास शर्मा था। वे बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। सांसारिक जीवन की सीमाओं से ऊपर उठते हुए उन्होंने साधना और सेवा को अपना जीवन समर्पित किया। उनका जीवन बहुत ही रहस्यमय और चमत्कारी था। वे कभी प्रवचन नहीं देते थे, परंतु उनकी मौन उपस्थिति ही लोगों के अंतर्मन को जागृत कर देती थी। बाबा का व्यवहार अत्यंत सरल था और वे किसी भी जाति, धर्म या भाषा के भेदभाव के बिना सभी के लिए सुलभ थे। उन्होंने सेवा को ही सच्चा धर्म माना और हमेशा यही कहा कि यदि तुम ईश्वर को पाना चाहते हो, तो पहले मनुष्य की सेवा करना सीखो।
कैंची धाम की स्थापना वर्ष 1964 में बाबा नीम करौरी ने की थी। यह स्थान भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित है, जहां दो पहाड़ियां कैंची की आकृति में मिलती हैं। यही से इसका नाम “कैंची धाम” पड़ा। यह धाम विशेष रूप से अपनी दिव्यता, शांति और चमत्कारी अनुभूतियों के लिए प्रसिद्ध है। जो भी यहां सच्चे मन से आता है, वह यहां से कुछ न कुछ प्राप्त करके ही लौटता है — चाहे वह मानसिक शांति हो, आध्यात्मिक ऊर्जा या सांसारिक समस्याओं का समाधान।15 जून को हर वर्ष इस धाम में स्थापना दिवस के अवसर पर भव्य समारोह आयोजित होता है। इस दिन सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। हर ओर भक्ति की गूंज होती है — हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, भजन-कीर्तन, और भव्य झांकियाँ वातावरण को अत्यंत पावन बना देती हैं। इस अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग प्रेमपूर्वक भोजन ग्रहण करते हैं। यह आयोजन पूरी तरह से सेवा और समर्पण पर आधारित होता है, जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी को भोजन, पानी, स्थान और प्रेम मिलता है।
नीम करौरी बाबा की ख्याति केवल भारत तक सीमित नहीं रही। उनके भक्तों में स्टीव जॉब्स (Apple के सह-संस्थापक), मार्क जुकरबर्ग (Facebook के संस्थापक), हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स, और अमेरिकी संत रामदास जैसे नाम सम्मिलित हैं। ये सभी बाबा की शिक्षाओं से प्रभावित होकर भारत आए और उन्होंने कैंची धाम की दिव्यता को अनुभव किया। बाबा ने कभी प्रचार नहीं किया, न ही कभी कोई संस्था बनाई, परंतु फिर भी उनकी उपस्थिति आज भी हजारों लोगों के जीवन में चमत्कारिक रूप से विद्यमान है।
बाबा नीम करौरी का जीवन संदेश हमें सिखाता है कि आध्यात्मिकता कोई प्रदर्शन नहीं बल्कि अनुभव है। वे कहते थे — “प्रेम ही ईश्वर है, और सेवा ही सच्चा धर्म।” उन्होंने यह भी सिखाया कि भक्ति का मार्ग केवल मंत्र-जप या पूजा नहीं, बल्कि दूसरों की निःस्वार्थ सेवा से होकर गुजरता है। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था — जहां हर पृष्ठ पर सेवा, त्याग और करुणा की कहानियाँ लिखी हैं।
आज जब भी हम 15 जून को कैंची धाम में स्थापना दिवस मनाते हैं, तो यह केवल एक तिथि नहीं होती, बल्कि यह उस दिव्य क्षण की स्मृति होती है जब एक सिद्ध संत ने इस स्थल को आत्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण किया। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है जो सभी को जोड़ता है, किसी को तोड़ता नहीं। बाबा नीम करौरी की उपस्थिति आज भी वहां महसूस की जा सकती है, और भक्तजन इस स्थल को ऊर्जा, समाधान और साक्षात्कार का केंद्र मानते है।नीम करौरी बाबा का कैंची धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उस विश्वास, श्रद्धा और अनुभूति का प्रतीक है जो सच्चे संतों की उपस्थिति से जन्म लेता है। 15 जून का यह स्थापना दिवस हमें सिखाता है कि भक्ति केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि सेवा, प्रेम और आस्था का जीवंत संगम है। बाबा के चरणों में समर्पित यह दिन हर उस आत्मा के लिए उत्सव है जो सत्य की खोज में है ।