: चंपावत जिला चिकित्सालय मे डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही ,लकड़ी के टुकड़े समेत महिला के घाव को सिला, लोगों ने काटा हंगामा
चंपावत जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने लकड़ी के टुकड़े सहित महिला के घाव को सिला, लोगों ने काटा हंगामा
चंपावत जिला अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक महिला अपनी जान गवाने से बाल बाल बची। घटना 4 जून की है जहां जिला अस्पताल चंपावत में 4 जून को निकटवर्ती ग्राम पंचायत ललुवापानी से एक महिला ममता बिनवाल उम्र 45 वर्ष पैर में लगी चोट को दिखाने जिला अस्पताल पहुंची थी । जिसके बाद इमरजेंसी में डॉक्टरों ने घाव के अंदर देखें बिना ही महिला के पैर में टांके लगा कर घर भेज दिया। घर पहुंचने के बाद महिला के पैर में सूजन और दर्द बढ़ने के बाद परिजन
उसे 9 जून को दोबारा चंपावत के एक निजी अस्पताल में ले गए। जहां एक्स-रे के बाद पता चला कि महिला के पैर के अंदर एक बड़ा लकड़ी का टुकड़ा रह गया है जिसे जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने घाव के अंदर ही सिल दिया था। जिसके बाद उसका निजी अस्पताल में ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों ने लकड़ी के टुकड़े को बाहर निकाला गया। जिससे आक्रोशित छात्र संघ नेताओं एवं स्थानीय लोगों ने शनिवार को जिला अस्पताल में प्रदर्शन कर सीएमएस ,सीएमओ का घेराव किया। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री की विधानसभा में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर प्रदर्शन किया। छात्रों के उग्र रूप को देखकर डॉक्टर डर कर अपने अपने कमरों को छोड़कर इधर-उधर भाग गए
छात्र नेताओं का कहना है कि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की इतनी बड़ी लापरवाही हो रही है। जो बिना देखे ही आंखें बंद करके इलाज कर रहे। महिला के पैर में 3 इंच लंबा लकड़ी का टुकड़ा घुसने के बाद भी डॉक्टरों ने बिना देखे बाहर से उसे टांके लगा कर सिल दिया लोगों ने कहा डॉक्टरों की गंभीर लापरवाही से महिला का पैर खराब हो सकता था या उसकी जान भी जा सकती थी लोगों ने लापरवाह डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग करी शनिवार को जिला अस्पताल में हंगामा होते हुए देख पुलिस व जिला प्रशासन सहित अन्य उच्च अधिकारी जिला चिकित्सालय पहुंच गए ।
छात्र नेताओं के इस उग्र आंदोलन को देखते हुए जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिसके बाद बड़ी मुश्किल से एसडीएम सदर रिंकू बिष्ट के समझाने के बाद छात्र नेताओं ने आंदोलन समाप्त किया तथा लापरवाह डॉक्टरों पर कार्यवाही की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा है । उनका कहना है कि ऐसे डॉक्टरों पर अगर शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई तो वह फिर दोबारा से उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे। वही छात्रों ने जिला चिकित्सालय के डाक्टरों पर प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस करने के गंभीर आरोप लगाए हैं छात्रों ने सीएमओ को जल्द चिकित्सालय की कार्यप्रणाली बदलने की चेतावनी दी है मालूम हो जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते कई गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों की जान जा चुकी है इसके बावजूद भी डॉक्टर इलाज में लापरवाही बरतना नहीं छोड़ रहे हैं



