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रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट : चंपावत:कांग्रेस प्रदेश सचिव ने कहा पहाड़ के सवाल तार्किकता और शोध के साथ उठेंगे तो मजबूत होगा उत्तराखंड

Laxman Singh Bisht

Sun, Nov 30, 2025

.कांग्रेस प्रदेश सचिव ने कहा पहाड़ के सवाल तार्किकता और शोध के साथ उठेंगे तो मजबूत होगा उत्तराखंडचम्पावत - कांग्रेस प्रदेश सचिव आनंद सिंह मेहरा ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि पहाड़ के वास्तविक सवाल तभी मजबूत होंगे, जब उन्हें पूरी तार्किकता, शोध और दूरदृष्टि के आधार पर उठाया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए राज्य की आदर्श प्रशासनिक संरचना का पुनर्विचार आवश्यक है। मेहरा ने कहा कि संतुलित और सुचारू प्रशासन के लिए उत्तराखंड में 24 जिलों का गठन जरूरी है। उन्होंने चंपावत, गंगोलीहाट, डीडीहाट, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रानीखेत, नैनीताल, पंतनगर, काशीपुर, चमोली, मंदाकिनी, पौड़ी, रवाई, लैंसडाउन, रामगंगा, उत्तरकाशी, प्रतापनगर, नरेन्द्रनगर, टिहरी, देहरादून, विकासनगर, हरिद्वार और चंद्रनगर जैसे प्रस्तावित जिलों का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि पहाड़ की संवेदनशील परिस्थितियों को देखते हुए छोटे और प्रभावी जिले ही प्रशासन को जनता के करीब ला सकते हैं। मेहरा ने सुझाव दिया कि 150–180 विकास खंड बनाए जाएं ताकि दूरस्थ गांवों तक तेज, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन पहुंच सके। कांग्रेस प्रदेश सचिव ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों को न्यायसंगत प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए 105 विधानसभा सीटें और चार कमिश्नरी संरचना राज्य की जरूरत है। इससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी और पहाड़ी जनजीवन को राहत मिलेगी।उन्होंने कहा कि यह मॉडल केवल प्रशासनिक पुनर्गठन नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, भू-क़ानून, कृषि–बागवानी, कुटीर उद्योग, पर्यटन और जल–वन संसाधनों के संतुलित उपयोग जैसे पहलुओं पर आधारित एक समग्र विकास दृष्टि है।मेहरा ने कहा कि उत्तराखंड में होने वाला परिसीमन केवल जनसंख्या के आधार पर नहीं, बल्कि भौगोलिक कठिनाई, बसावट के फैलाव, पहुंच और विशिष्ट पहाड़ी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। तभी पहाड़ी क्षेत्रों का वास्तविक विकास संभव होगा, युवाओं को बराबरी के अवसर मिलेंगे और पलायन रुकेगा।

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