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रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट : हिमवत्स : स्मृतियों से सेवा तक एक थे हरि दत्त बिष्ट।

Laxman Singh Bisht

Wed, Dec 17, 2025

हिमवत्स : स्मृतियों से सेवा तक एक थे हरि दत्त बिष्ट।एक थे हरि दत्त बिष्ट—डॉ. एच.डी. बिष्ट। चम्पावत जनपद के समीप ग्राम डड़ा के निवासी। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) कानपुर में भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। वर्ष 1979-80 के दौरान उन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा डी.एस.बी. परिसर के संस्थाध्यक्ष के रूप में भी सेवाएँ दीं।बात उनके बचपन की करें तो पाँच भाइयों में सबसे बड़े डॉ. बिष्ट ने पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और आर्थिक तंगी को बहुत नज़दीक से देखा था। उनके पिता स्व. अम्बादत्त बिष्ट चाहते थे कि उनका बेटा खूब पढ़े-लिखे, किंतु संसाधन सीमित थे। बावजूद इसके, अपनी कुशाग्र बुद्धि और अथक परिश्रम के बल पर डॉ. बिष्ट ने शिक्षा और शोध का मार्ग कभी नहीं छोड़ा। प्रारंभिक से उच्च शिक्षा तक की उनकी यात्रा मित्रों, शिक्षकों और छात्रवृत्तियों के सहारे नैनीताल से अमेरिका तक पहुँची।डॉ. डी.डी. पंत के निर्देशन में पीएचडी करने के उपरांत उन्होंने आई.आई.टी. कानपुर में कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने न केवल स्वयं शिक्षा के उच्च शिखर छुए, बल्कि अपने मार्गदर्शन में अपने चारों भाइयों को भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। डॉ. एच.डी. बिष्ट ने भारत के अलावा अमेरिका, रूस, यूरोप, अफ्रीका और जापान जैसे देशों की यात्राएँ कीं तथा भौतिक विज्ञान से जुड़े अनेक शोध कार्य किए।उनके सबसे छोटे भाई डॉ. प्रेम बल्लभ बिष्ट जो मेरे सहपाठी और मित्र रहे हैं, वर्तमान में आई.आई.टी. चेन्नई के भौतिकी विभाग में कार्यरत हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब परिवार शिक्षा के महत्व को समझता है, तो सीमित संसाधन भी बाधा नहीं बनते।डॉ. एच.डी. बिष्ट ने डॉ. डी.पी. खंडेलवाल के साथ मिलकर इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स (IAPT) की स्थापना की, जो आज भी बच्चों के लिए अनेक वैज्ञानिक कार्यक्रम आयोजित करती है और एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करती है।सेवानिवृत्ति के बाद भी डॉ. बिष्ट के मन में अपने बचपन और गाँव की स्मृतियाँ जीवित रहीं। उन्हीं स्मृतियों और सामाजिक दायित्व की भावना से प्रेरित होकर, अपने छोटे भाई त्रिभुवन बिष्ट (वर्तमान में अमेरिका निवासी) के सुझाव पर उन्होंने अपने पैतृक गाँव डड़ा, चम्पावत में हिमवत्स समिति की स्थापना की। यह समिति ‘हिमालयन वाटर सर्विस तथा विकास एवं पर्यावरण संरक्षण समिति’ के रूप में कार्यरत है।समिति ने अपने कार्य की शुरुआत स्थानीय जल स्रोतों के संरक्षण और शुद्ध पेयजल आपूर्ति से की। इसके बाद गरीब एवं संसाधन-वंचित बच्चों की शिक्षा को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया। गाँव के प्राथमिक विद्यालय कुलेठी सहित आसपास के कई विद्यालयों को गोद लिया गया। इसके परिणामस्वरूप इन विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ, बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी तथा स्वास्थ्य व स्वच्छता को लेकर सकारात्मक आदतें विकसित हुईं।समिति द्वारा विद्यालयों में कंप्यूटर, विज्ञान प्रयोगशाला और पुस्तकालय जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं। विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों की प्रतिभा को प्रतिवर्ष आगे लाने के प्रयास भी निरंतर किए जाते रहे हैं।दिनांक 16 दिसंबर 2025 को समिति द्वारा जनपद के 22 विद्यालयों के 67 मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई और समिति द्वारा प्रकाशित साविद्या स्मारिका का विमोचन किया गया इस अवसर पर मुझे भी आमंत्रित किया गया था। जनपद चम्पावत के मेधावी बच्चों को संबोधित करना मेरे लिए भी सुखद अनुभव रहा। मैंने अपनी लिखी पुस्तकें हिमवत्स समिति के पुस्तकालय हेतु भेंट कीं।डॉ. एच.डी. बिष्ट का जीवन इस बात का उदाहरण है कि व्यक्ति चाहे कितनी भी ऊँचाई तक क्यों न पहुँच जाए, यदि उसकी जड़ें गाँव और समाज से जुड़ी रहें, तो वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाता है। उल्लेखनीय है कि डॉ. एच.डी. बिष्ट का 90 वर्ष की आयु में 13 दिसंबर 2025 को निधन हो गया। ऐसे विद्वान, शिक्षाविद् और समाजसेवी व्यक्तित्व की स्मृतियाँ जनपद चम्पावत ही नहीं, बल्कि समूचे शिक्षा-जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।

■भगवत प्रसाद पाण्डेय

(लेखक साहित्यकार और राजस्व विभाग के पूर्व सीएओ रहे हैं)

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