Monday 13th of October 2025

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लोहाघाट:मडलक में बग्वाली मेले व बग्वाली महोत्सव की जोरदार तैयारी। सीमांत क्षेत्र में उत्साह।

16 नवंबर 2025 को होगी आयोजित यूकेएसएससी की सहायक विकास अधिकारी परीक्षा।

लोहाघाट:सीमांत विज्ञान महोत्सव 2025 में ओकलैंड पब्लिक स्कूल के 8 छात्र-छात्राओं का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हेतु चयन

लोहाघाट में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा सम्मेलन का किया आयोजन।

उत्तराखंड:कैबिनेट द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय।

रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट 👹👹 : पिथौरागढ़:एनएमएचएस परियोजना के तहत कृषि वैज्ञानिको ने किया दारमा घाटी का भ्रमण।

Laxman Singh Bisht

Sat, Jun 7, 2025

हिमालय के बदलते जलवायु परिदृश्य के बीच खाद्य पोषण और आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने

स्थानीय कृषि उत्पादों को व्यावसायिक रूप देने के लिए किसानों को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी।गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल (अल्मोड़ा )तथा कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) लोहाघाट (चंपावत) की संयुक्त टीम ने राष्ट्रीय हिमालय मिशन (एनएमएमएस) द्वारा वित्तपोषित परियोजना के तहत पिथौरागढ़ जिले की चीन सीमा से लगी दारमा घाटी का भ्रमण किया।इस दौरान टीम ने छह जीवंत गांवों—दुक्तू, दांतू, तिदांग, बालिंग, नागलिंग और दर का दौरा किया। कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट की प्रभारी डॉक्टर दीपाली तिवारी व डॉक्टर शैलजा पुनेठा ने बताया इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय नकदी फसलों को मुख्यधारा में लाकर किसानों की आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना है। विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में बदलते जलवायु परिदृश्य के संदर्भ में।कहा इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से कुट्टू, हरे कुट्टू और राजमाश (राजमा) जैसी फसलें उगाई जाती हैं। इसके अलावा, वनों में कुटकी, जटामांसी, जंगली लहसुन और जंगली जीरा जैसी औषधीय पौधों की समृद्ध विविधता पाई जाती है।लेकिन स्थानीय लोग अब भी इन कीमती फसलों की व्यावसायिक खेती के प्रति जागरूक नहीं हैं। कहा टीम के द्वारा दुक्तू गांव में तीन दिवसीय सर्वेक्षण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें क्षेत्रीय किसान शामिल हुए। कार्यक्रम में समयरेखा और ग्राम संसाधन मानचित्र तैयार किए गए।

किसानों को स्थानीय फसलों जैसे कुट्टू और हरे कुट्टू से बनने वाले मूल्यवर्धित उत्पादों का डेमो (प्रदर्शन) भी दिखाया गया, जिसमे उन्हें प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से आयवर्धन के अवसरों के बारे में जानकारी दी गई। कहा यह पहल सीमावर्ती किसानों में जागरूकता और क्षमता निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिससे जलवायु-संवेदनशील कृषि और वन-आधारित संसाधनों के माध्यम से सतत आजीविका को बढ़ावा दिया जा सके।जिससे किसान अधिक से अधिक आय अर्जित कर सके। सरकार की ओर से इन सीमावर्ती किसानों को रोजगार से जोड़ने के लिए यह बेहतरीन कदम है। इन सीमावर्ती क्षेत्रो में समस्याएं काफी अधिक है और जलवायु परिवर्तन के कारण बड़ी संख्या में पलायन भी हो रहा है। पर सरकार के प्रयासों से इन क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों में काफी तेजी आई है। अगर यहा के किसान अपनी पारंपरिक खेती को व्यावसायिक रूप देते हैं तो काफी अच्छी आय यहा के किसान अर्जित कर सकते हैं।क्योंकि काफी ज्यादा तादात में पर्यटक इन क्षेत्रों में आ रहे हैं। कार्यक्रम में आईटीबीपी के द्वारा टीम को भरपूर सहयोग किया गया। टीम मे डॉ निधि, पूजा ओली, प्रेरणा जोशी, विवेक सिंह रावत आदि शामिल रहे।

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